ताजा समाचार

Kapil Sibal: सुप्रीम कोर्ट के जज ने क्यों लगाई कपिल सिब्बल को फटकार? जानिए पूरा मामला

Kapil Sibal: हाल ही में एक महत्वपूर्ण न्यायिक मामले के दौरान सुप्रीम कोर्ट के एक जज ने वकील कपिल सिब्बल को कोर्ट के अंदर शोर-शराबा करने के लिए फटकार लगाई। यह घटना उस समय की है जब एक केस के दौरान कोर्ट में हंगामा मचा हुआ था, जिसमें डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या का मामला शामिल था। आइए जानते हैं कि आखिर क्यों और कैसे सुप्रीम कोर्ट के जज ने कपिल सिब्बल को फटकार लगाई और इस मामले का पूरा संदर्भ क्या है।

Kapil Sibal: सुप्रीम कोर्ट के जज ने क्यों लगाई कपिल सिब्बल को फटकार? जानिए पूरा मामला

मामला क्या था?

यह घटना सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई, जहां एक बेंच ने वकील कौस्तव बागची को उनकी ऊँची आवाज को लेकर फटकार लगाई। चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई में बेंच ने बागची से कहा, “क्या आप अपने बिंदुओं को गैलरी से बाहर से कहने की कोशिश कर रहे हैं?” दरअसल, बागची कोर्ट में जोर-जबरदस्ती से बोल रहे थे, जिस पर जज ने नाराजगी जताई।

जज की फटकार का कारण

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने बागची को सख्त शब्दों में कहा, “मैं पिछले दो घंटे से आपका व्यवहार देख रहा हूँ। ज़ोर से मत बोलिए, अपनी आवाज़ कम करें।” इसके अलावा, जज ने यह भी कहा, “आप सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों को संबोधित कर रहे हैं, न कि उन दर्शकों को जो यूट्यूब पर लाइव स्ट्रीम देख रहे हैं।”

Punjab News: रात के सन्नाटे में गूंजे धमाके जलंधर गांव में दहशत का माहौल! क्या जालंधर अब सुरक्षित नहीं?
Punjab News: रात के सन्नाटे में गूंजे धमाके जलंधर गांव में दहशत का माहौल! क्या जालंधर अब सुरक्षित नहीं?

यह फटकार उस समय लगाई गई जब बागची ने पश्चिम बंगाल सरकार को सुनाए जा रहे निर्देशों के बीच हस्तक्षेप किया। दरअसल, बेंच पश्चिम बंगाल सरकार को यह निर्देश दे रही थी कि अगर मंगलवार शाम 5 बजे तक प्रदर्शनकारी डॉक्टर अपने कर्तव्यों पर लौट आते हैं, तो उनके खिलाफ कोई प्रतिकूल कार्रवाई न की जाए। बागची ने इसी बीच हस्तक्षेप किया, जिसके कारण जज ने उनकी ऊँची आवाज पर नाराजगी जताई।

प्रदर्शन और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश

इस पूरे मामले की जड़ में एक गंभीर मुद्दा है। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की घटना के बाद से डॉक्टरों का प्रदर्शन चल रहा है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टर मंगलवार शाम 5 बजे तक अपने काम पर लौट आएं। लेकिन डॉक्टरों ने कोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए कहा कि वे काम पर नहीं लौटेंगे, क्योंकि उन्हें लगता है कि पीड़िता को अभी तक न्याय नहीं मिला है।

न्याय का मामला और डॉक्टरों की स्थिति
इस मामले ने न केवल न्यायिक प्रणाली बल्कि मेडिकल समुदाय को भी हिला कर रख दिया है। डॉक्टरों के विरोध का कारण केवल एक अपराध नहीं बल्कि उस अपराध के प्रति समाज की संवेदनशीलता और न्याय प्रणाली की दक्षता पर सवाल उठाता है। वे मानते हैं कि बिना उचित न्याय के उनके काम पर लौटना उनके पेशेवर और नैतिक जिम्मेदारियों के खिलाफ होगा।

बेंच और सिब्बल की भूमिका

सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश के पीछे बेंच की मंशा यह थी कि स्थिति को स्थिर किया जाए और विवाद को सुलझाया जाए। सिब्बल, जो पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश हो रहे थे, ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि किसी भी डॉक्टर के खिलाफ प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की जाएगी, जिसमें दंडात्मक ट्रांसफर भी शामिल है। इस आश्वासन के बावजूद, बागची का हस्तक्षेप और कोर्ट में शोर-शराबा जज की नाराजगी का कारण बना।

Punjab News: बठिंडा एयरफोर्स स्टेशन के पास धमाका रेड अलर्ट में बदला शहर! गांवों में छाया डर का माहौल
Punjab News: बठिंडा एयरफोर्स स्टेशन के पास धमाका रेड अलर्ट में बदला शहर! गांवों में छाया डर का माहौल

निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट की इस फटकार ने एक बार फिर से यह साबित किया कि अदालत में व्यवस्थित और सम्मानजनक ढंग से पेश आना कितना महत्वपूर्ण है। जज की सख्त टिप्पणी यह दर्शाती है कि कोर्ट का ध्यान केवल कानूनी प्रक्रियाओं पर केंद्रित होना चाहिए, न कि शोर-शराबा और अराजकता पर। इस मामले से यह भी संकेत मिलता है कि जब जज और वकील के बीच तनाव होता है, तो अदालत का उद्देश हमेशा न्याय और अनुशासन बनाए रखना होता है।

आशा है कि इस घटना से सभी पक्ष सीखेंगे और भविष्य में कोर्ट में ऐसे मामलों को शांतिपूर्ण और व्यवस्थित ढंग से निपटाया जाएगा।

Back to top button